जैसी करनी वैसी भरनी -15-Dec-2022

प्रतियोगिता

दिनांक -15/12/२०२२
विषय -स्वैच्छिक 
विधा- गीत
शीर्षक - जैसी करनी वैसी भरनी

दीनों पर दया दयावान ही करेगा। 
जो खुद है पीर से पीड़ित वो पीर क्या हारेगा। 1
मात-पिता को कष्ट दिया और, 
       तूने मौज उड़ाई। 
पुरा पड़ोसी भूखे तेरे , 
       तूने रोटी खाई। 
खून चूस कर गर गरीब का, 
    तूने संपत जोड़ी।
कोड़ी कोड़ी पड़े चुकाना, 
  सोच समझ ले थोड़ी। 
तुम उसका ध्यान धरो,
     वो तेरा ध्यान धरेगा। 
2
तात तुम्हारे घर पर तरसे, 
   तूने तीर्थ किया है। 
धन पाकर के धन दौलत का,
    ना हीं दान दिया है। 
पत्थर को पकवान परसते ,
    भूखों को तरसाया। 
दिया ना पानी प्यासे को अरु, 
     मूरत को दूध चढ़ाया। 
ईश्वर को दूध भी ऐसा ,
      अपमान ही करेगा। 
3
जिसने दी है चोंच चोंच को ,
    देता वही निवाला। 
तू बंदे अभिमान करे क्यों, 
    सबका ऊपर वाला। 
जो कुछ मिला यहां पर प्यारे, 
   सत्कर्मों का श्रम है। 
साथ न लाए साथ में जाए, 
    नाहक का यह भ्रम है । 
जो ओछी बुद्धि वाला , 
    अभिमान ही करेगा। 
4
बेबस हो लाचार गिरा जो, 
   उसको हाथ लगा दो। 
नव विहान में सोये हैं जो, 
   उनको जरा जगा दो।  
सबका हित हो तेरे द्वारा, 
     जग में यही जता दो । 
मिले विनोदी मूल्यवान क्षण,
    सुख से इसे बिता दो। 
बस इंसान पर दया,
    तो इंसान ही करेगा। 
नर तो माफ करे पर ,
    ईश्वर न माफ करेगा। 

विनोदी महाराजपुर 

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1 Comments

Suryansh

16-Dec-2022 08:32 AM

बहुत ही सुंदर सृजन

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